कार्यान्‍वयनाधीन नारियल विकास बोर्ड योजनाओं के संक्षिप्‍त दिशानिर्देश

बोर्ड द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे प्रमुख कार्यक्रम हैं:

1. गुणवत्‍तापूर्ण रोपण सामग्रियों का उत्‍पादन और वितरण

(क) प्रदर्शन सह बीज उत्‍पादन फार्मों की स्‍थापना
(ख) क्षेत्रीय नारियल नर्सरियों की स्‍थापना
(ग) न्‍यूक्लियस नारियल बीज बाग की स्‍थापना
(घ) लघु नारियल नर्सरियों की स्‍थापना

2. नारियल के अधीन क्षेत्र विस्‍तार

3. उत्‍पादकता सुधार हेतु एकीकृत खेती

(क) निदर्शन प्‍लोटों की स्‍थापना
(ख) जैव खाद इकाइयों को सहायता

4. प्रौद्योगिकी निदर्शन/गुणवत्‍ता परीक्षण प्रयोगशाला

5. विपणन, बाज़ार आसूचना सेवाएं, सांख्यिकी और निर्यात संवर्धन परिषद का सुदृढ़ीकरण

6. सूचना एवं सूचना प्रौद्योगिकी

7. तकनीकी सेवा, अवसंरचनाऔर प्रशासन सहित परियोजना प्रबंधन

8. नारियल प्रौद्योगिकी मिशन

9. पुनरुज्‍जीवन और पुनर्रोपण

10. नारियल पेड़ बीमा योजना

11. केरा सुरक्षा बीमा योजना

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1. गुणवत्‍तापूर्ण रोपण सामग्रियों का उत्‍पादन और वितरण Back to Top

इस कार्यक्रम का लक्ष्‍य निम्‍नलिखित संघटक कार्यक्रमों के ज़रिए गुणवत्‍तापूर्ण रोपण सामग्रियों का उत्‍पादन और वितरण बढ़ाना है।

क. प्रदर्शन सह बीज उत्‍पादन फार्मों(प्रबीउ) की स्‍थापना

देश के विविध भागों में गुणवत्‍तापूर्ण रोपण सामग्रियों के उत्‍पादन हेतु अवसंरचना सुवि‍धाएं विकसित करना और उस क्षेत्र के लाभभोगियों को वैज्ञानिक नारियल खेती का निदर्शन करना योजना का लक्ष्‍य है। बोर्ड ने अभी तक कुल 362 हेक्‍टर क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, असम, संघ शासित क्षेत्र अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओड़िशा, तमिलनाडु, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में ग्यारह प्रबीउ फार्म स्‍थापित किए हैं। इन फामों के अनुरक्षण हेतु प्रचालन व्‍यय उठाने के लिए 27.00 लाख रुपए और नए फार्म के लिए पहले वर्ष के दौरान 25.00 लाख रुपए का बजट समर्थन सालाना दिया जाता है।

ख. क्षेत्रीय नारियल नर्सरियों की स्‍थापना

यह योजना राज्य सरकार के नारियल नर्सरी कार्यक्रमों को पूर्णता देने के उद्देश्य के साथ कार्यान्वित की जाती है। राज्‍य सरकार द्वारा गुणवत्‍तापूर्ण बीजफल खरीदकर उनके पास उपलब्‍ध अवसंरचना सुविधाओं के साथ नर्सरी लगाई जाएगी। नर्सरी स्‍थापित करने हेतु कर्मचारी गण और अवसंरचना सुविधा की व्‍यवस्‍था पूरी तरह राज्‍य सरकार द्वारा किया जाएगा। बोर्ड के हिस्‍से के रूप में प्रति नारियल पौध 16 रुपए की दर पर प्रचालन व्‍यय का 50 प्रतिशत बोर्ड द्वारा प्रदान किया जाएगा।

ग. न्‍यूक्लियस नारियल बीजबाग की स्थापना

यह योजना भविष्य में गुणवत्तापूर्ण नारियल पौधों की मांग को पूरा करने के लिए सरकारी/ अर्ध सरकारी और निजी क्षेत्रों में चयनित किस्मों के न्‍यूक्लियस बीजबाग की स्थापना हेतु कार्यान्वित की जाती है। नारियल बीज बागों की स्थापना के लिए उपयुक्त भूमिवाले वैयक्तिक किसान, सहकारिता समितियाँ, गैर सरकारी संगठन, कृषि विज्ञान केंद्र और अन्य सरकारी/ अर्ध सरकारी संगठन इस कार्यक्रम के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए पात्र हैं। बीज बाग की स्‍थापना के लिए अधिकतम 4 हेक्टर के लिए कुल व्यय का 25 प्रतिशत या अधिकतम 6.00 लाख रुपए तक सीमित वित्‍तीय सहायता तीन साल के लिए दी जाएगी। सहायता बैक एंडेड उधार से जुडी सहायिकी के रूप में होगी। इकाई की विभिन्न स्थायी अनुरक्षण लागत के लिए प्रस्तावित व्यय के मदों को दर्शानेवाली विस्तृत परियोजना बोर्ड के अधिकारियों के साथ परामर्श करके लाभार्थियों द्वारा तैयार करके योजना के तहत सहायता प्राप्त करने के लिए आवेदन के साथ प्रस्तुत करें।

          आवेदन पत्र के लिए लिंक - न्यूक्लियस नारियल बीजबाग

घ. लघु नारियल नर्सरी की स्थापना

यह योजना नारियल नर्सरियों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता देकर नारियल पौधों के उत्पादन में निजी क्षेत्र और अन्य एजेंसियों को बढ़ावा देने के लिए कार्यान्वित की जाती है। वित्तीय सहायता प्रति वर्ष 25,000 प्रमाणि‍त नारियल पौधों की उत्‍पादन क्षमता सहित 0.4 हेक्टर के प्रति इकाई के लिए लागत का 25 प्रतिशत या 2.00 लाख रुपए तक, जो भी कम हो, सीमित की गयी है (बीजफल की लागत और परिवहन, नर्सरी का अनुरक्षण, अन्य अवसंरचना सुविधाएं आदि का 100 प्रतिशत)। प्रति वर्ष 6,250 प्रमाणित नारियल पौधों की उत्पादन क्षमता सहित 0.10 हेक्‍टर की इकाई के लिए न्यूनतम सब्सिडी 50,000 रुपए पर भी विचार किया जाता है। उत्‍तर और पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के संबंध में अपेक्षित क्षेत्र और उत्‍पादन क्षमता 3125 नारियल पौधों के उत्‍पादन हेतु 12.5 सेंट है जिसके लिए पात्र वित्‍तीय सहायता 25000 रुपए है। पात्र सहायिकी दो किस्तों में दी जाती है।

          आवेदन पत्र के लिए लिंक – लघु नारियल नर्सरी

2. नारियल के अधीन क्षेत्र विस्‍तार Back to Top

नारियल के अधीन क्षेत्र विस्‍तार योजना के अंतर्गत नारियल के अधीन क्षेत्र और उत्‍पादन बढ़ाने हेतु नए क्षेत्र में नारियल पौधों का रोपण करने के लिए किस्‍म/स्‍थान आदि के आधार पर प्रति हेक्‍टर के लिए वित्‍तीय सहायता 6500 रुपए से 15000 रुपए तक दी जाती है । सहायिकी दो बराबर किश्तों में प्रति लाभार्थी अधिकतम 4 हेक्टर के लिए निम्‍नानुसार दी जाती है:

   
क्र.सं.   
   
मद   
   
लागत शर्तें   
   
सहायता का प्रतिमान   
   
क)    सामान्य क्षेत्र   
   
i)   
   
लंबी किस्म   
   
26,000 रुपए/ हे.   
   
प्रति लाभार्थी अधिकतम 4 हेक्टर के लिए लागत का 25 प्रतिशत, दो बराबर किश्तों में   
   
ii)   
   
संकर किस्म   
   
27,000 रुपए/ हे.   
   
iii)   
   
बौनी किस्म   
   
30,000 रुपए/ हे.   
   
ख)    पहाड़ी और अनुसूचित क्षेत्र   
   
i)   
   
लंबी किस्म   
   
55,000 रुपए/ हे.   
   
प्रति लाभार्थी अधिकतम 4 हेक्टर के लिए लागत का 25 प्रतिशत, दो बराबर किश्तों में   
   
ii)   
   
संकर किस्म   
   
55,000 रुपए/ हे.   
   
iii)   
   
बौनी किस्म   
   
60,000 रुपए/ हे.   

एकीकृत बागवानी विकास मिशन(एमआईडीएच), भारत सरकार के परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार पहाडी क्षेत्र में पहाडी क्षेत्र विकास कार्यक्रम और पश्चिम घाट विकास कार्यक्रम के अधीन शामिल क्षेत्र भी आते हैं। अनुसूचित क्षेत्र में भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित क्षेत्र भी शामिल हैं।

आवेदन पत्र के लिए लिंक

3. उत्‍पादकता सुधार हेतु नारियल बागों में एकीकृत खेती Back to Top

इस कार्यक्रम का उद्देश्‍य एकीकृत प्रणाली के ज़रिए नारियल बागों में उत्‍पादन और उत्‍पादकता बढ़ाना और तद्वारा निम्‍नलिखित संघटक योजनाओं के ज़रिए इकाई बागों की कुल आय बढ़ाना है। “एकीकृत खेती” के अंतर्गत “निदर्शन प्लोटों की स्थापना” और “जैव खाद इकाइयों की स्थापना” योजना संघटकों का कार्यान्वयन मात्र सार्वजनिक क्षेत्र में किया जाना होगा।

i) निदर्शन प्‍लोटों की स्‍थापना:

इसके अंतर्गत अन्‍य उपयुक्त योजनाओं के साथ सभी संभव समवाय करके एकीकृत खेती के ज़रिए उत्पादकता और आय सुधारने की संभावनाओं को निदर्शित करने की दृष्टि से नारियल बागों में की जा रही गतिविधियों के अनुसार प्रति हेक्टर 35,000 रुपए तक सीमित वित्तीय सहायता दो वार्षिक किस्तों में दी जाती है, जिसका कृषक समूह पर स्पष्ट प्रभाव पड़ सकता है।

ii) जैव खाद इकाइयों के लिए सहायता

इस योजना के अंतर्गत, सार्वजनिक क्षेत्र में नारियल बागों में जैव खाद के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए वित्‍तीय सहायता दी जाती है। वित्तीय सहायता प्रति इकाई के लिए औसतन 40,000 रुपए आकलित की गई है। चार बार प्रति वर्ष 80 टन की उत्‍पादन क्षमता सहित 1200 घन फीट (आकार 60फीट X 8फीट X 2.5फीट या 30फीट X 8फीट X 2.5फीट की दो इकाइयाँ) आकार की और पक्‍का संरचना वाली इकाइयों के लिए लागत के 100 प्रतिशत हेतु अधिकतम सहायता 60,000 रुपए दी जाती है और वित्तीय सहायता यथानुपात आधार पर दी जाएगी। छोटी इकाइयों को भी बढ़ावा दिया जाएगा और न्यूनतम आकार चार बार प्रति वर्ष 10 टन की उत्‍पादन क्षमता के साथ 150 घन फीट (आकार 15फीट X 5फीट X 2फीट)का होना होगा और तदनुसार वित्तीय सहायता कम की जा सकती है। इस योजना के अंतर्गत प्रति वर्ष 80 टन की उत्‍पादन क्षमता के साथ 5मी. X 3मी.(40 इकाइयां) आकार के कंक्रीट फर्श वाली कयर गूदा कंपोस्‍ट इकाई भी सहायिकी के पात्र हैं। प्रति वर्ष 10 टन की क्षमता के साथ कम से कम 5मी. X 3मी.(5 इकाइयां) आकार की छोटी इकाइयों के लिए भी वित्‍तीय सहायता दी जाती है। जैव खाद इकाइयों के लिए सुविधाजनक आकार का छत भी अपेक्षित है।

4. प्रौद्योगिकी निदर्शन/गुणवत्‍ता परीक्षण प्रयोगशाला Back to Top

यह योजना बोर्ड की दो संस्‍थानों याने नाविबो प्रौद्योगिकी संस्‍था, आलुवा, केरल और क्षेत्रीय कार्यालय, गुवाहटी, असम द्वारा कार्यान्वित की जाती है। केरल में एरणाकुलम जिले के आलुवा में स्थित नाविबो प्रौद्योगिकी संस्‍था नारियल के नए मूल्‍यवर्धित उत्‍पादों के विकास और मानकीकरण करने एवं उद्यमियों को उन्‍हीं का निदर्शन करने में सतत् कार्यरत है। यहां पर एक गुणवत्‍ता परीक्षण प्रयोगशाला और पायलट परीक्षण संयंत्र भी स्‍थापित हैं। नाविबो प्रौद्योगिकी संस्‍था(सीआईटी) व्‍यक्तियों, किसान समूहों/ स्‍वयंसहायता समूहों/महिला समूहों, निजी उद्यमियों और वोकेशनल हायर सेकंडरी स्‍कूल, स्‍नातक और स्‍नातकोत्‍तर छात्रों(खाद्य विज्ञान/खाद्य प्रौद्योगिकी/खाद्य इंजीनियरी/कृषि) के लिए विविध सेवाएं प्रदान करती है और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाती है।

सीआईटी, आलुवा में प्रशिक्षण कार्यक्रम संबंधी ब्यौरे के लिए लिंक

संस्‍था में नारियल आधारित उत्‍पादों के रासायनिक और सूक्ष्‍मजैविक विश्‍लेषण हेतु आईएसओ/आईईसी 17025:2017 के अनुसार एनएबीएल की मान्‍यता प्राप्‍त पूरी तरह सुसज्जित गुणवत्‍ता परीक्षण प्रयोगशाला कार्यरत है। नारियल आधारित उत्‍पादों, अन्य खाद्य उत्पादों व उर्वरकों के रासायनिक/सूक्ष्‍मजैविक परीक्षण चलाने के लिए एनएबीएल अपेक्षाओं के अनुसार आधुनिक सुविधाओं और उन्‍नत विश्‍लेषणात्‍मक उपकरणों से प्रयोगशाला सुसज्जित है।

सीआईटी, अलुवा में रासायनिक और सूक्ष्मजैविक पैरामीटरों के लिए विश्लेषणात्मक शुल्क हेतु लिंक

बोर्ड के गुवाहटी, असम स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में नारियल आधारित सुविधाजनक उत्‍पादों की तैयारी में चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित की जाती है।

5. विपणन, बाज़ार आसूचना सेवाएं, सांख्यिकी और निर्यात संवर्धन परिषद का सुदृढ़ीकरण Back to Top

नारियल विकास बोर्ड देश में नारियल क्षेत्र के विकास हेतु नारियल विकास बोर्ड अधिनियम में निर्दिष्ट अनुसार नारियल और उसके मूल्य वर्धित उत्पादों के बाजार विकास और बाजार संवर्धन के लिए गतिविधियां चलाता है। इसकी मुख्या गतिविधियों में बाज़ार संवर्धन, बाज़ार आसूचना, बाज़ार अनुसंधान और विकास, किसान संगठनों (एफपीओ) को बढ़ावा देना, नीति निर्माण के लिए सिफारिशें करना और निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसी) के दायित्वों का निष्पासदन शामिल हैं।

नियमित योजना “विपणन, बाजार आसूचना सेवाएं, सांख्यिकी और निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसी) का सुदृढ़ीकरण” और “नारियल प्रौद्योगिकी मिशन (टीएमओसी) उप संघटक- बाजार अनुसंधान और संवर्धन” के तहत विभिन्न कार्यक्रम/गतिविधियां उपलब्ध हैं। ब्यौरे निम्नानुसार है:

I. विपणन, बाजार आसूचना सेवाएँ, सांख्यिकी और निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसी) का सुदृढ़ीकरण

क. देशीय बाजार संवर्धन के लिए योजनाएँ

1. प्रमुख शहरों में क्रेता-विक्रेता बैठक/बाजार संवर्धन बैठकें

2. उद्यमियों की भागीदारी के साथ प्रमुख राष्ट्रीय स्तर के व्यापार मेलों में नारियल पवलियनों की स्थापना

3. कुशल श्रमशक्ति विकास के ज़रिए गुणवत्तापूर्ण नारियल उत्पादों का निर्माण

4. बाजार आसूचना:

किसानों और अन्य हितधारकों द्वारा बेहतर बाजार निर्णय लेने में सुविधा के लिए भावों और आवक के बारे में बाजार की सूचनामहत्वपूर्ण है। नाविबो ने बाजार डेटा संग्रहण की एक प्रणाली विकसित की है, जिसमें क्षेत्रीय कार्यालयों और मुख्यालय के बाजार आसूचना स्कंध प्रमुख नारियल उत्पादों के बाजार मूल्यों पर वास्तविक समय बाजार डेटा के संग्रहण और सभी हितधारकों को सोशल मीडिया और थोक एसएमएस के ज़रिए इसके प्रसार की सुविधा प्रदान करते हैं। डेटा संग्रहण का कार्य प्रमुख बाजारों में पहचाने गए बाजार डेटा संग्रहकर्ताओं के द्वारा किया जाता है, जो दैनिक आधार पर बाजार डेटा संग्रहण में सहायता करेंगे

5. नवीन नारियल उत्पादों का प्रचार और सार्वजनिकीकरण:

आधिकारिक बैठकों, प्रदर्शनियों और व्यापार मेलों, निवेशक सम्मेलनों, क्रेता-विक्रेता बैठकों आदि में विभिन्न नारियल उत्पादों के वितरण के द्वारा उत्पाद का संवर्धन किया जाएगा। बोर्ड के सभी इकाई कार्यालयों में नारियल उत्पादों का प्रदर्शन भी किया जाएगा, ताकि इच्छुक हितधारकों और उद्यमियों को नारियल से संभव विभिन्न प्रकार के प्रसंस्कृत उत्पादों की जानकारी मिल सके।

I. विपणन, बाजार आसूचना सेवाएँ, सांख्यिकी और निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसी) का सुदृढ़ीकरण

ख. साँख्यिकी

सर्वेक्षण, अध्ययन, योजना/परियोजना मूल्यांकन:

अन्य अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से आवश्यकतानुसार मूल्य श्रृंखला अध्ययन सहित नारियल उत्पादों की संभावनाओं, उत्पादकता आकलन, विभिन्न योजनाओं के प्रभाव आकलन और इस क्षेत्र के लिए हितकर अन्य क्षेत्रों पर अध्ययन करना।

ग. निर्यात संवर्धन परिषद

1. निर्यात उत्कृष्ठता के लिए पुरस्कार:

नारियल और नारियल उत्पादों के निर्यात निष्पादन में 2009-10 से काफी सुधार हुआ है। निर्यातित उत्पादों की संख्या, शामिल गंतव्य, निर्यात की मात्रा, भारतीय उत्पादों के गुणवत्ता मानकों आदि में बड़ी छलांग हुई है। निर्यात को बढ़ावा देने और नारियल तथा इसके विविध उत्पादों को भूमंडलके विभिन्न भागों तक ले जाने वाले निर्यातकों को मान्यता देने के लिए बोर्ड ने ईपीसी की स्थापना के दसवें वर्ष 2018-19 से “निर्यात उत्कृष्टता पुरस्कार” की शुरुआत की थी और इसे आगे भी एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में जारी रखा जाएगा।

निर्यातकों को नारियल उद्योग से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया जाएगा और नारियल निर्यात में उनके प्रयासों को तेज करने के लिए प्रेरित किया जाएगा, जिससे देश नारियल और इसके उत्पादों के निर्यात की सीढ़ी पर एक उच्च पायदान पर पहुंच जाएगा। नाविबो के साथ पंजीकृत सभी निर्यातकों को पुरस्कार के लिए विचार किया जाएगा। पुरस्कार योजना में सभी प्रकार के नारियल उत्पादों का कारोबार करने वाले निर्यातकों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न श्रेणियां हैं, जैसे; नारियल खोपड़ी आधारित उत्पाद निर्यातक, नारियल गरी आधारित उत्पाद निर्यातक, नारियल पानी आधारित उत्पाद निर्यातक, सर्वश्रेष्ठ महिला निर्यातक, सर्वश्रेष्ठ नवाचारी नारियल उत्पाद निर्यातक और सर्वश्रेष्ठ किसान उत्पादक संगठन। पुरस्कार में सभी श्रेणियों के लिए पुरस्कार राशि, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न शामिल हैं। सभी श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ निर्यातक के लिए पुरस्कार राशि 1.00 लाख रुपए है। सर्वोत्तम नारियल खोपड़ी/गरी/पानी आधारित उत्पादों की 3 श्रेणियों के तहत 3 पुरस्कार - स्वर्ण, रजत और कांस्य स्थापित किए गए हैं, जिनकी पुरस्कार राशि क्रमशः 1.00 लाख रुपए, 0.75 लाख रुपए और 0.50 लाख रुपए है।

2. संभावित निर्यातकों और उद्यमियों के लिए संगोष्ठी/कार्यशालाएं:

नारियल के मूल्यवर्धित उत्पादों के लिए उद्यमशीलता की संभावनाओं, निर्यात की औपचारिकताओं, निर्यात दिशानिर्देशों में अद्यतनीकरण, निर्यात में गुणवत्ता प्रमाणन आदि पर परिचर्चा हेतु उद्यमियों और निर्यातकों के लिए संगोष्ठी/कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।

3. प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मेलों में नारियल पवलियन की स्थापना:

II. नारियल प्रौद्योगिकी मिशन (टीएमओसी) उप संघटक- बाजार अनुसंधान और संवर्धन

क. बाज़ार अनुसंधान:

टीएमओसी के तहत बाज़ार अनुसंधान सहायता प्रदान करने के लिए एमआईडीएच दिशानिर्देश निम्नानुसार है:

लागत शर्तें * सहायता का प्रतिमान
सरकारी एजेंसियों और सहकारी समितियों के लिए 25 लाख रुपए परियोजना लागत का 100 प्रतिशत
व्यक्तियों, गैर सरकारी संगठनों और अन्य संगठनों के लिए 12.50 लाख रुपए लागत का 50 प्रतिशत

क. बाज़ार संवर्धन

टीएमओसी के तहत बाज़ार संवर्धन सहायता प्रदान करने के लिए एमआईडीएच दिशानिर्देश इस प्रकार है:

लागत शर्तें * सहायता का प्रतिमान
सरकारी एजेंसियों और सहकारी समितियों के लिए 25 लाख रुपए परियोजना लागत का 100 प्रतिशत
सीपीएस (एफपीओ) के फेडरेशन के लिए 6 लाख रुपए लागत का 50 प्रतिशत
गैर सरकारी संगठनों और निजी संस्थानों (एफपीओ) के लिए 15 लाख रुपए लागत का 50 प्रतिशत

* लागत शर्त से उद्देश्य है सहायिकी की गणना के लिए लागत की ऊपरी सीमा

बाजार संवर्धन योजना के तहत संघटक कार्यक्रम निम्नलिखित हैं:

1. एफपीओ द्वारा प्रापण केन्द्रों की स्थापना के लिए अवसंरचना समर्थन।

2. मूल्य वर्धित नारियल उत्पादों के लिए बिक्री केंद्रों या कियोस्क की स्थापना

3. गुणवत्ता प्रमाणन के लिए सहायता

4. अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों/व्यापार मेलों/क्रेता-विक्रेता बैठकों में भागीदारी के लिए निर्यातकों को सहायता।

5. ब्रांड निर्माण समर्थन

1. एफपीओ द्वारा प्रापण केन्द्रों की स्थापना के लिए अवसंरचना समर्थन।

2. मूल्य वर्धित नारियल उत्पादों के लिए बिक्री केंद्रों या कियोस्क की स्थापना के लिए अवसंरचना समर्थन

3. गुणवत्ता प्रमाणन के लिए सहायता

4. अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों/व्यापार मेलों/क्रेता-विक्रेता बैठकों में भागीदारी के लिए निर्यातकों को सहायता।

योजना का ब्यौरा पहले से ही धारा 1-सी-3 ‘अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में नारियल पवलियन की स्थापना’ के तहत दिया गया है।

5. ब्रांड निर्माण समर्थन

6. सूचना एवं सूचना प्रौद्योगिकी Back to Top

बोर्ड अपने कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए नारियल संबंधी विविध विषयों पर किसानों और अन्‍य हितधारकों के लिए पंचायत, ब्‍लोक, जिला और राष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता है। बोर्ड सूचना एवं सूचना प्रौद्योगिकी के अंतर्गत कई कार्यक्रम चला रहा है जिसका उद्देश्‍य बोर्ड की विविध भाषाओं में प्रकाशित सावधिक गृह पत्रिकाओं जैसे मासिक(अंग्रेजी एवं मलयालम), तिमाही(तमिल, कन्‍नड और हिंदी) और द्विवार्षिक(मराठी और तेलुगु) प्रकाशनों, विभिन्‍न मु्द्रण, इलेक्‍ट्रोनिक एवं सामूहिक माध्‍यमों, राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रदर्शनियों एवं मेलाओं के आयोजन/सहभागिता, संवर्धनात्‍मक वीडियो फिल्‍मों की स्‍क्रीनिंग, सफल गाथाओ आदि के प्रलेखीकरण आदि के ज़रिए नारियल खेती और उद्योग की विविध पहलुओं पर सूचना प्रसारित करना है। नाविबो ने नारियल खेती, उत्‍पाद विकास, उत्‍पाद सुधार, गुणवत्‍ता उन्‍नयन, उत्‍पाद विविधीकरण, शिल्‍पकारिता, विस्‍तार गतिविधियों एवं किसान उत्‍पादक संगठनों के लिए द्विवार्षिक राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार योजना भी कार्यान्वित की है। बोर्ड नारियल समुदाय को समग्र रूप से लाभान्वित करने के लिए ताडारोहण मशीन का प्रयोग करके तुड़ाई सहित नारियल के पौधा संरक्षण पहलुओं, नारियल आधारित हस्‍तशिल्‍प निर्माण और नीरा तकनीशियन के लिए कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित करता है। इन कार्यक्रमों के लिए आवास सहित पूरा खर्च बोर्ड द्वारा उठाया जाता है। प्रौद्योगिकी निदर्शन योजना के अंतर्गत्‍ नीरा मास्‍टर तकनीशियन प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाता है।

बोर्ड अपने संगठन में पूरी तरह सुसज्जित पुस्‍तकालय और सूचना प्रौद्योगिकी के समर्थन से एमआईएस का भी अनुरक्षण करता है।

योजना के ब्यौरे एवं आवेदन प्रपत्र के लिए लिंक:

I.  प्रकाशनों एवं पत्रिकाओं की ग्राहकी
II. कौशल विकास
      (क) फ्रेंड्स ऑफ कोकनट ट्री प्रशिक्षण कार्यक्रम
      (ख) नीरा तकनीशियन
      (ग) हस्तशिल्प प्रशिक्षण
III.जागरूकता कार्यक्रम/विस्तार गतिविधियों के ब्यौरे
      क) ब्लॉक/क्षेत्र स्तरीय संगोष्ठी/वेबिनार
      ख) किसान प्रक्षेत्र दिवस कार्यक्रम
IV. प्रदर्शियाँ/मेले प्रोफोर्मा
V.   राष्ट्रीय पुरस्कार योजना

7. तकनीकी सेवाएं, अवसंरचना एवं प्रशासन सहित परियोजना प्रबंधन Back to Top

तकनीकी सेवाओं, मुख्‍य अवसंरचना विकास और स्‍थापना का खर्च इस योजना से उठाया जाता है।

8. नारियल प्रौद्योगिकी मिशन Back to Top

नारियल प्रौद्योगिकी मिशन योजना वित्‍तीय वर्ष 2001-02 के दौरान मंजूर की गई थी जिसके लक्ष्‍य हैं (क) अनुसंधान द्वारा नारियल के नए मूल्‍यवर्धित उत्‍पादों और उपोत्‍पादों का विकास, संभावी उद्यमियों को सहायता प्रदान करके इन प्रौद्योगिकियों का अभिग्रहण करवाके मूल्‍यवर्धित उत्‍पादों का वाणिज्यिक उत्‍पादन करना(ख) नारियल के मूल्‍यवर्धित उत्‍पादों और उपोत्‍पादों के उत्‍पादन हेतु बिना रुकावट के नारियल उद्योग को कच्‍ची सामग्रियों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए खास रोगों/कीटों के नियंत्रण हेतु प्रौद्योगिकियां विकसित करने सहित किसी निर्दिष्‍ट क्षेत्र में खास रोगों/कीटों के नियंत्रण हेतु सहायता देना (ग) अनुसंधान, सर्वेक्षण और ब्रैंड संवर्धन द्वारा इसप्रकार नए विकसित मूल्‍यवर्धित उत्‍पादों और उपोत्‍पादों एवं परंपरागत नारियल उत्‍पादों(गोल खोपरा, खोपरा और तेल) के लिए बाज़ार का विकास और संवर्धन। इस योजना का कार्यान्‍वयन समयबंधित परियोजना आधार पर की जाती है।

  •  नारियल प्रौद्योगिकी मिशन योजना नारियल आधारित उद्योग(कयर आधारित उद्योग को छोड़कर) की स्‍थापना करने हेतु उद्यमियों/किसानों को वित्‍तीय सहायता प्रदान करती है।
  •  नारियल प्रौद्योगिकी मिशन योजना मुख्‍यत: अनुसंधान और विकास, तुडाई उपरांत प्रसंस्‍करण, उत्‍पाद विविधीकरण, मूल्‍यवर्धन और कीट एवं रोग प्रबंधन पर ध्‍यान केंद्रित करती है।
  •  इस योजना के ज़रिए, नाविबो प्रसंस्‍करण और उत्‍पाद विविधीकरण और कीट एवं रोग प्रबंधन के क्षेत्र में अनुसंधान संस्‍थाओं को सहायता प्रदान की जाती है।
  •  प्रक्षेत्र स्‍तर पर कीट प्रकोप एक गंभीर समस्‍या है। नाविबो प्रौद्योगिकीय और गैर प्रौद्योगिकीय विधि विकसित /निदर्शित करके कीट प्रबंधन करने के लिए अनुसंधान संस्‍थाओं को सहायता प्रदान करता है।
  •  प्रसंस्‍करण, उत्‍पाद विविधीकरण और मूल्‍यवर्धन के लिए नाविबो ने विविध अनुसंधान संस्‍थाओं के सहयोग से नारियल से विविध मूल्‍यवर्धित उत्‍पादों के उत्‍पादन हेतु विविध प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं। इन उत्‍पादों को राष्‍ट्रीय और वैश्विकस्‍तर पर बढ़ावा दिया जाता है। अनुसंधान और विकास क्षेत्र को नारियल उद्योग के विकास हेतु नई प्रौद्योगिकियां खोज निकालने के लिए निदेश दिया गया है।
  •  अनुसंधान और विकास परियोजनाओं के निष्‍कर्ष यदि सफलतापूर्वक पूरे होते हैं तो, वाणिज्‍यीकरण के लिए उपयोग किया जा सकता है जो इस उद्योग को लाभान्वित बनाएगा।

चार प्रमुख संघटकों को शामिल करके नारियल प्रौद्योगिकी मिशन के ब्‍यौरे नीचे दिए गए हैं:

(1) कीट एवं रोगप्रकोपित नारियल बागों के प्रबंधन हेतु प्रौद्योगिकियों का विकास

   
योजना    
   
सहायता का मान    
   
टिप्‍पणी    
   
क) प्रौद्योगिकियों का विकास    
   
100 % (प्रति परियोजना अधिकतम 50 लाख रुपए)   
   
भा.कृ.अनु.सं.(कें.रो.फ.अनु.सं.)/राज्‍य कृषि विश्‍वविद्यालय/ राज्‍य विभाग और सहकारिता क्षेत्र के लिए    
   
50 % प्रति परियोजना अधिकतम 25 लाख रुपए )     
   
गैर सरकारी संगठनों और अन्‍य संगठनों के लिए    
   
ख) प्रौद्योगिकियों का निदर्शन    
   
100 % (प्रति परियोजना अधिकतम 25 लाख रुपए)   
   
भा.कृ.अनु.सं.(कें.रो.फ.अनु.सं.)/राज्‍य कृषि विश्‍वविद्यालय/ राज्‍य विभाग/सार्वजनिक क्षेत्र के अन्‍य उपक्रम/पंजीकृत सहकारी समितियों के लिए    
   
50 % प्रति परियोजना अधिकतम 10 लाख रुपए )    
   
व्‍यक्तियों/किसान समूहों/गैर सरकारी संगठनों, निजी कंपनियों के लिए    
   
ग) प्रौद्योगिकियों का अभिग्रहण    
   
प्रौद्योगिकी अभिग्रहण की लागत का 25 %    
   
किसान समूहों/गैर सरकारी संगठनों/अन्‍य संगठनों के लिए    

9. नारियल बागों के पुनर्रोपण एवं पुनरुज्जीवन

इस योजना का मुख्य लक्ष्य गंभीर रूप से रोग प्रकोपित, अनुत्पादक, पुराने और जीर्ण ताड़ों को काटकर निकालके, गुणवत्‍तापूर्ण रोपण सामग्रियों से पुनर्रोपण करके, शेष ताड़ों को एकीकृत खेती विधि के ज़रिए पुनरुज्जीवित करके नारियल की उत्पादकता और उत्‍पादन बढ़ाना है।

वित्‍तीय सहायता निम्‍न प्रकार से दी जाती है:

योजना संघटक सहायता का पैमाना टिप्पणी
(i) पुराने, जीर्ण, अनुत्‍पादक एवं रोगप्रकोपित ताड़ों को काटकर निकालना प्रति पेड़ 1000 रु की दर पर अधिकतम प्रति हेक्टर 32000 रु की सहायिकी प्रथम वर्ष के दौरान प्रदान की जाती है
(ii) पुनर्रोपण प्रति पौधा 40 रु की दर पर अधिकतम प्रति हेक्टर 4000 रु तक सहायिकी प्रथम वर्ष के दौरान सहायता दी जाती है
(iii) एकीकृत प्रबंधन द्वारा शेष पेड़ों का पुनरुज्जीवन प्रति हेक्टर 17500 रु की सहायिकी 8750 रु की दो वार्षिक किस्तों में प्रदान की जाती है

इस योजना का कार्यान्‍वयन राज्‍य विभाग/बागवानी विभाग के ज़रिए राज्‍य विनिर्दिष्‍ट समस्‍याओं के अनुसार परियोजना आधार पर किया जाता है। परियोजना में बेसलाइन सर्वेक्षण के आधार पर स्‍थान, हटाए जानेवाले ताड़ों की संख्‍या, पुनरुज्‍जीवन हेतु क्षेत्र, पुनर्रोपण हेतु ताड़ों की संख्‍या आदि सहित कार्ययोजना और प्रचालन कैलेंडर स्‍पष्‍ट रूप से सूचित किया जाना होगा। राज्‍य स्‍तरीय प्रशासनिक अनुमोदन जारी करने के बाद परियोजना पर विचार किया जाएगा।

पुनरुज्जीवन एवं पुनर्रोपण योजना के कार्यान्वयन हेतु दिशानिर्देशों के लिए लिंक

बेसलाइन सर्वेक्षण प्रारूप

10. नारियल पेड़ बीमा योजना Back to Top

नारियल पेड़ बीमा योजना 2021-22 के दौरान भी जारी रखी गयी जिसका उद्देश्‍य प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु संबंधी खतरों, कीटो, रोगों और अन्‍य आपदाओं के खिलाफ नारियल पेड़ों का बीमा कराना है। इस योजना के अंतर्गत किसी सटे हुए क्षेत्र(एकल/मिश्रित) के 4 वर्ष से 60 वर्ष तक की आयु के सभी स्वस्थ, फलदायक पेड़ों को मृत्‍यु/ताड़ का नाश करने वाले/अनुत्‍पादक बना देने वाले प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ बीमा सुरक्षा प्रदान किया जा सकता है। प्रीमियम का 50% बोर्ड द्वारा उठाया जाता है और शेष रकम के 25% के हिसाब से राज्य सरकार एवं लाभभोगी किसान द्वारा निम्नानुसार उठाया जाता है,

   
ताड़ की आयु   
   
प्रीमियम(रु)   
   
बोर्ड का हिस्‍सा (रु.) (50 प्रतिशत)   
   
राज्‍य सरकार का हिस्‍सा (रु) (25 प्रतिशत)   
   
किसान का हिस्‍सा (रु) (25 प्रतिशत)   
   
बीमाकृत राशि(रु)   
   
4-15 वर्ष   
   
9.00   
   
4.50   
   
2.25   
   
2.25   
   
900/-   
   
16-60 वर्ष   
   
14.00   
   
7.00   
   
3.50   
   
3.50   
   
1,750/-   

बीमा सुरक्षा प्रत्‍येक पेड़ के लिए है और क्षेत्र आधार पर नहीं है। बागान का आंशिक बीमा करने नहीं देता है। बीमा योजना के अंतर्गत बीमा करने के लिए मानदंड कम से कम पांच स्‍वस्‍थ फलदायी पेड़ है। सभी नारियल उत्‍पादक राज्‍यों में योजना का कार्यान्‍वयन कृषि बीमा कंपनी और कार्यान्वित राज्‍य सरकारों के द्वारा किया जा रहा है।

योजना के विस्तृत दिशानिर्देशों के लिए लिंक

11. केरा सुरक्षा बीमा योजना

केरा सुरक्षा बीमा योजना नारियल ताड़रोहकों, नीरा तकनीशियनों/नारियल की पैदावार लेने वालों के लिए केरा सुरक्षा बीमा योजना वर्ष 2021-22 के दौरान भी जारी है। बीमा योजना सर्वश्री ऑरिएंटल इन्‍श्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड के सहयोग से कार्यान्वित की जाती है। सभी नारियल उत्‍पादक राज्‍यों में योजना का कार्यान्‍वयन किया जाता है। पोलिसी के सारे संघटकों के अंतर्गत वर्धित हितलाभों के साथ योजना के प्रावधानों का संशोधन 01.11.2020 से किया गया है। संशोधित बीमाकृत राशि मृत्यु सहित सभी दुर्घटनाओं के लिए 24 घंटे 5.00 लाख रुपए है। पोलिसी का वार्षिक प्रीमियम 398.65 रुपए मात्र है जिसमें से 299.65 रुपए (लगभग 75 प्रतिशत) बोर्ड द्वारा तथा शेष 99 रुपए(लगभग 25 प्रतिशत) नारियल ताड़ारोहक द्वारा अदा किया जाता है। लाभभोगी को प्रीमियम का अपना हिस्‍सा 99 रुपए डीडी के ज़रिए या ऑनलाइन अदा करने का विकल्‍प है।

विस्तृत दिशानिर्देशों के लिए लिंक

केरा सुरक्षा बीमा योजना - आवेदन प्रपत्र

नारियल विकास बोर्ड एक सांविधिक निकाय है जो उत्‍पादकता सुधार और उत्‍पाद विविधीकरण को फोकस करके देश में नारियल की खेती और उद्योग के एकीकृत विकास हेतु कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन स्‍थापित है। इस साइट की रूपकल्‍पना, विषय सामग्री का स्‍वामित्‍व और इसका अनुरक्षण एवं अद्यतन कार्य नारियल विकास बोर्ड, कोची, भारत द्वारा किया जाता है। नेशनल इंफोर्मेटिक्‍स सेंटर ने इसे होस्ट किया है, इस साइट में दी गई विषय सामग्री से संबंधित सभी पूछताछ/राय kochi.cdb(at)gov(dot)in को भेजें।